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नेतृत्व से दी अपने गाँव को पहचान !

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नेतृत्व से दी अपने गाँव को पहचान !

जावित्रीए 52 वर्ष दलित समुदाय की महिला हैं जो कि अपने परिवार के साथ ब्लाॅक भोजीपुरा, ग्राम दभौरा में रहती है। जावित्री के पति डोरी लाल खेती का काम करते हैं जावित्री के 6 बच्चे हैं 3 लड़का व 3 लड़की। जावित्री ने 3 बच्चों की शादी कर दी हैं। जावित्री की आर्थिक स्थिति मध्यम हैं वह अपने परिवार के साथ खुशी से अपने परिवार का जीवन व्यतीत कर रही हैं। जावित्री के बच्चे पढ़ते हैं व बड़ा बेटा मजदूरी करता हैं। उनके परिवार में कोई भी जावित्री को रोकने वाला या समस्या खड़ी करने वाला नहीं हैं। इसलिए जावित्री अपने परिवार से सन्तुष्ट हैं उन्हें किसी प्रकार का संघर्ष नहीं करना पड़ता हैं। जावित्री ने दलित व मुस्लिम समुदाय के हक को दिलवाने हेतु संघर्ष किया इसी को देखते हुए जावित्री को संगठन के बारे में बताया और उन्हें संगठन से जोड़ा। जावित्री संगठन की एक जिम्मेदार व सक्रिय सदस्य के रूप में जुड़कर संगठन की जिम्मेदारी निभा रही हैं।

जावित्री जी की सक्रियता को देखते हुए 2010 में ग्राम प्रधान के चुनाव में S.C. की सीट निकलकर आयी तब संगठन को बताया कि अपने संगठन का लीड़र होना चाहिए। संगठन की तरफ से जावित्री को प्रधान पद पर खड़ा जाना चाहिए। संगठन के सहयोग से जावित्री को संगठन ने प्रधान पद के लिए खड़ा कर दिया और जावित्री को एक साथ मिलकर चुनाव लड़ाया पर किन्ही कारणों से जावित्री चुनाव हार गयी। जावित्री को O.B.C. का वोट न मिल सका। क्योंकि जावित्री गांव में किसी भी प्रकार का अत्याचार बर्दाश्त नही कर सकी और जो गा्रम सभा की जमीनों पर O.B.C. के लोगों का कब्जा हैं उनको हटाने में पूरा सहयोग करती। इसी कारण से जावित्री को चुनाव में हमेशा हराया गया। लेकिन जावित्री ने हिम्मत नहीं हारी संगठन को और भी मजबूत करने के लिए अधिक से अधिक लोगों को संगठन में जोड़ा। मुस्लिम समुदाय की महिलाओं को भी जोड़ा। समय के चलते 2015 में फिर पंचायत चुनाव आया और महिला सीट थी। संगठन ने फिर जावित्री को चुनाव लड़ाया।

बदकिस्मती से जावित्री इस बार भी चुनाव हार गयी। लेकिन जावित्री ने हिम्मत नहीं हारी और संगठन की महिलाओं के साथ मिलकर पंचायत स्तर के कार्यो की समीक्षा करने लगी। गांव में पंचायत से सम्बन्धित कार्यो को सक्रियता के साथ निभाने लगी ग्राम स्तर व ब्लाॅक स्तर पर पंयायत के रूप में एक सशक्त नारी के रूप में जानी जाती हैं। किसी भी प्रशासनिक अधिकारी से सवाल जवाब करने में सक्षम हैं और बात भी करती हैं।

जावित्री का कहना हैं, " मुझे संगठन से जुडे़ 5 वर्ष हो गये हैं और अब ऐसा जान पड़ता है कि मुझे मंजिल मिल गयी है। पहले से मेरे अन्दर इतनी समझ व जानकारी नहीं थी जितनी अब हैं। मैं संगठन से जुड़ी हूं जुड़ी ही रहूंगी। संगठन को कोई भी कार्यक्रम जब भी होता हैं मैं अवश्य प्रतिभाग करती हूं। क्योंकि हमारे लिए ही कार्यक्रम किये जाते हैं जिससे हम आगे बढ़सकते हैं। मेरे साथ कुछ बहनें हिम्मत करके आगे आये और साथ दे ंतो हम अपने हक, अधिकार के लिए कुछ भी कर सकते हैं।

बहनें आगे आती हैं और फिर पीछे हट जाती हैं मेरा प्रयास हैं कि वह आगे आये और आगे बढ़ती रहे।


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