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अंजली की कहानी

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अंजली की कहानी

अंजली करमपुर चैधरी गांव में रहने वाली 14वर्षीय किशोरी है। पिता का नाम- श्री राकेश और माता का नाम - श्रीमती धम्ममित्रा है।

गांव में ही एक स्कूल कुवंर रंजीत सिंह कन्या इण्टर कालेज से 9वीं पास की है। अंजली के दो भाई और एक बहिन है। सभी बहिन-भाई शिक्षा प्राप्त कर रहे है। अंजली के पिता सिंचाई विभाग में कार्यरत है तथा उसकी मां महिला शक्ति संगठन की लीडर है और घर में भी गृहिणी का काम करती है।

अंजली को जब किशोरी मंच के बारे में पता चला तो वह सोच रही थी कि पता नहीं इसमें क्या होगा। क्योंकि पहले वह काफी शर्मीले स्वभाव की थी किसी के सामने तो क्या घर में भी अपने मन की बात किसी से नहीं कहती थी। कभी भी घर से बाहर खेली नही, बाहर जाने-आने में उसमें बहुत झिझक थी।

अंजली को नहीं पता था कि उसके शरीर अचानक में बदलाव क्यों हो रहे है? उसे नहीं पता कि किशोरावस्था में किशोरियों को किन-किन समस्याओं से गुजरना पड़ता है।

चूंकि अंजली की मां भी अपने गांव की लीडर है इसीलिए उन्होंने उसे मंच से जुड़ने को बोला तो वह खुश हुई और अपना पंजीकरण करा लिया। शुरूआत में बैठक में अंगों के बारे में बात होती थी जो उसने अपनी मां को बताया तब उसकी मां ने भी उसे समझाया कि शरीर के बारे में जानना बहुत आवश्यक है। शरीर के अंग तो प्राकृतिक है इन्हंे बदला नहीं जा सकता। यह सुनकर अंजली ने बैठक में रूचि उत्पन्न की और धीरे-धीरे उसे जब अपने शरीर के बारे में पढ़ने और सुनने को मिला तो वह बहुत रूचिपूर्ण ढंग से बैठक में आने लगी और किसी भी बैठक में उसकी अनुपस्थिति नहीं मिली।

किशोरी मंच से जुड़कर अंजली ने छेड़छाड़, भेदभाव और हिंसा आदि मुद्दों पर जानकारी प्राप्त की। जिससे पहले वह पूर्णरूप से अनभिज्ञ थी क्योकि इन बातों का कभी भी कोई जिक्र घर में कभी नहीं हुआ ही नहीं।

किशोरी मंच से जुड़ने से पहले अंजलि खो-खो, छुपन-छुपाई आदि पारम्परिक खेल ही खेलती थी और फुटवाॅल जैसे खेल के बारे में उसने कभी नहीं सुना था लेकिन मंच से जुड़कर इस खेल के बारे में जाना। खेलकूद एक स्वस्थ जीवन के लिए बहुत आवश्यक है इसे अपने जीवन में स्थान देकर बहुत अच्छा लग रहा है। क्योंकि पहले लगता था कि केवल लड़के ही यह खेलकूद कर सकते है खेल केवल लड़कों के लिए ही है लेकिन अब मैं खुद को किसी लड़के से कम नहीं समझती हूॅ। इस किशोरी मंच से जुड़ने से पहले बाहर जाने-आनेे का कोई अनुभव नहीं था कि बाहर का कैसा माहौल है शहर में लड़कियां कैसे रहती है? लेकिन इस मंच के द्वारा ही मैं शहर में जा पाई और वहां की लड़कियों के रहन-सहन और बोलचाल से बहुत प्रभावित हुई और कहीं न कहीं खुद को भी उसी रूप में ढालने की कोशिश भी करती हॅू। मैं उन लड़कियों की तरह उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहती हूॅ और पढ़लिख कर अपने माता-पिता तथा अपने गांव का नाम रोशन करना चाहती हूॅ। मैंने अपने जीवन में अब यह एक अहम निर्णय लिया है कि मैं खुद तो पढ़ूगी साथ ही साथ गांव की दूसरी लड़कियों को भी पढ़ने के लिए प्रेरित करूंगी और लड़कियों पर होने वाले अत्याचार को खत्म करने का हर सम्भव प्रयास करूंगी और हिंसा को खत्म करने के लिए पुलिस आॅफिसर बनूंगी। ताकि उन आवारां लड़को को जेल की सलाखों के पीछ डाल सकूं जो दूसरों की बहिनों को बहिन नहीं समझते ।

किशोरी मंच से जुड़ने के बाद अंजली के जीवन में बहुत बदलाव आया। जैसे पहले वह अपने मन की बात को किसी और तक नहीं पहुंॅचा पाती थी और शरीर में होते बदलावों को लेकर बेचैन रहती थी और शर्म के कारण किसी से नहीं कह सकती थी। लेकिन अब वह अपनी मम्मी से कोई भी बात नहीं छिपाती है अपने मन की बात सबके सामने रख देती है। पहले वह दोस्ती करने में डरती थी लेकिन अब उसके बहुत सारे दोस्त है। खुलके अपनी सहलियों के साथ मस्ती करती है। किशोरी मंच से जुड़ने से पहले वह लड़को से बहुत डरती थी तथा उनके सामने नहीं पड़ती थी लेकिन अब इस मंच से जुड़कर उसमें बहुत हिम्मत आई है। उसका कहना है कि यह सब कुछ साकार संस्था की वजह से है। जिसने इतना अच्छा मंच हम ग्रामीण किशोरियों को प्रदान किया और हमंे अपना जीवन स्वतंत्रतापूर्वक जीने का अवसर मिला।

जब अंजली किशोरी समूह से जुड़ी तो वह बैठक में जाने से हिचकिचाती थी क्योंकि वहां पर शरीर के अंगो के बारे में जानकारी दी जाती थी लेकिन धीरे-धीरे उसे जब अपने शरीर के बारे में जानकारी प्राप्त हुई। तो वह खुश हुई और बैठक में निरन्तर आती रही। उसे घर में कभी किसी ने बैठक में जाने को मना नहीं किया, लेकिन पड़ोसी जाते हुए देखकर कहते थेे कि लड़कियों का घर में रहना ज्यादा अच्छा है। ये इतनी बड़ी लड़कियां घर से बाहर जाती है इन्हेें कोई काम-धाम नहीं है। तो एक बार पड़ोसियों से अंजली ने कहा कि हम लोग कोई बुरा काम नहीं कर रहे है। बैठक में जानकारियंा मिलती है जो हमारे काम की ही है। मां ने भी सबको समझाया कि मीटिंग में किशोरियों के स्वास्थ्य से सम्बन्धित जानकारियां मिलती है। इसलिए मेरी बेटी तो जरूर जायेगी और आप लोग भी अपनी बेटियों को इस मीटिंग में भेजा करो तब सबने मुझ पर टिप्पणी करना बंद किया।

किशोरी मंच से जुड़ने के लिए किशोरियों ने पंजीकरण कराया तो वे एक दो बार तो खुशी-खुशी आई फिर उनके घरों मे उन्हें आने से मना कर दिया वो कहने लगे कि बहुत लम्बी बैठक होती है तब किशेारियों की संख्या बैठक में कम हो गई लेकिन अंजली ने किशोरियों के घर जाकर उनके माता-पिता को समझाया कि उन्हें बैठक में आने दें। यहां उन्हें उनके भविष्य में आने वाली समस्याओं से आगाह किया जायेगा और उनके बारे में जानकारी दी जायेगी।

अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होगें खेलना स्वास्थ्य के लिए अनिवार्य है तो अगर हमें स्वस्थ रहना है तो खेलना तो पड़ेगा फिर धीरे-धीरे किशोरियां मीटिंग में उपस्थित होने लगी और फिर सभी ने हमारा समर्थन किया।


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