परिचय - यह कहानी बरेली जिले के बहेड़ी ब्लाॅक के राजूनगला ग्राम की हैं। इस गांव में 23 अश्व पालक व 25 घोड़े निवास करते हैं। इस गांव में एक महिला व एक पुरूष समूह का गठन किया गया हैं।
मुद्दा - अश्व पालकों को भट्ठा सीजन समाप्त हो जाने पर कोई काम न मिल पाने के कारण भुखमरी का शिकार होना।
प्रक्रिया - राजूनगला में गठित महिला अश्व कल्याण की कोषाध्यक्ष बिसमिल्लाह के परिवार में उनका पति, एक बेटा, चार बेटियां हैं।
भट्ठा सीजन बन्द हो जाने पर आर्थिक अभाव के कारण आये दिन परिवार में कलह होती थी। एक दिन समूह की मीटिंग में पता चला कि पति-पत्नी में आर्थिक अभाव के कारण कलह होती हैं। NRLM योजना का पैसा आया हुआ हैं। आप चाहो तो अपने पति को नया व्यवसाय करा सकते हो। बिसमिल्लाह के पति को बुला कर उनसे बात करके उन्हें कपड़े का व्यवसाय करने की सलाह दी गयी। इसके लिए उन्हें समूह से रू0 10,000 देकर कपड़े खरीदवाये गये।
कलीम अहमद बुग्गी में कपड़ा रखकर आसपास की बाजार में दुकान लगाने लगे। बाजार न होने पर गांव में फेरी भी लगाने लगे। जिससे उनकी आमदनी रोजाना 500-1000 होने लगी, इससे उनका परिवार खुशहाल हो गया एवं वह महिला समूह व अश्व कल्याण कार्यक्रम एवं NRLM योजना की प्रशंसा कर रहा हैं।
निष्कर्ष :
- NRLM के पैसे का सद्पयोग हुआ।
- समूह की महिला का आपसी विवाद खत्म हुआ ।
- अन्य अश्व पालक रोजगार करने हेतु प्रेरित हुआ ।
- परिवार का पालन पोषण अच्छे से होने लगा ।